Monday, October 3, 2011

nokia campions league T20 se darshako ki cini cum

विश्व  कप के बाद क्रिकेट का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन चैंपियंस लीग T20 -२०११ अपने लिए दर्शको की भारी  कमी से जूझ रहा हैं| जिसको देखने के लिए दर्शको में वो उत्साह दिखाई नहीं दे रहा हैं | जबकि क्रिकेट को भारत में धर्म समझा जाता हैं| फिर आखिर क्या कारण हैं | जिसने चैंपियंस लीग से दर्शको के उत्साह की चीनी को कम कर दिया हैं| जब की  दर्जन भर क्रिकेट  मैच खेले जा चुके हैं |
                                                      कारण 
(१) इसके लिए खिलाडिओं का जरुरत से ज्यादा क्रिकेट खेलना प्रमुख कारन माना जा रहा हैं |

(२) इस चैंपियंस लीग में जितने भी विदेशी खिलाडी खेल रहें हैं| उनमें से ज्यादातर नए खिलाडी हैं| जिनको   न तो कोई भारतीय जानता हैं| और न ही देखना  चाहता  हैं | अत स्टार  खिलाडिओं की अनुपस्थिति इसका दूसरा कारण हैं |

(३) इसमें खिलाडिओं का निहित्त  स्वार्थ भी शामिल हैं | विश्व कप के बाद ये ही एसा सबसे बड़ा आयोजन हैं | जिसमें पैसो की बहुत बड़ी रकम खिलाडिओं को मिलती हैं|जो हालांकि विश्व कप में मिलने वाली राशि से कम हैं |फिर भी खिलाडी भरपूर थकान के बावजूद इस मोटी मलाई  को हाथ से जाने नहीं देना चाहते| जो इसका तीसरा सबसे बड़ा कारण हैं | 
                                              T20 और( टी. आर. पी )
चैंपियंस लीग की औसत( टी आर पी)  आमतौर पर ३ मानी जाती हैं |इसकी वर्तमान 
टी  आर पी -(१.४५) हैं 
२०१० में -(१.४४) थी 
२००९ में -( १.०३) थी 
जो इसके प्रति लोग के उत्साह को स्वयं बयाँ करती हैं|

(५) इस लीग में धोनी , भज्जी , और गंभीर का निराशा जनक प्रदर्शन भी कारण रहा तो सचिन की गैरमौजूदगी भी|

(६) मुंबई और चेन्नई के बीच खेले गये मैच दौरान तो दर्शको ने क्रिकेट मैदान के साथ साथ टी. वी से भी दुरी बना ली|
जबकि इस चैंपियंस लीग का  उदघाटन एक विदेशी पोप गायक द्वारा किया गया था| |

                                    चैंपियंस  लीग और आयोजक 
चैंपियंस लीग के दौरान दर्शको की भारी कमी उन आयोजको और फ्रन्चैजी के लिए अवश्य बहुत बड़ी समस्या हैं |क्युकी दर्शको द्वारा ख़रीदे गए टिकटों से ही आयोजको और टीम फ्रैन्चैजी की रकम की पुन  प्राप्ति होती हैं| यहाँ तक टी . वी से भी दर्शक नदारद होने से मैच के टेलीकास्ट अधिकार खरीदने वालो को भी चैंपियंस लीग घाटे का सौदा साबित हुई हैं| यहाँ मैंने टी . वी की बात बार बार इस लिए की हैं की क्युकी आज भी ज्यादातर लोग इन्टरनेट के बजाये टी .वी पर ही मैच देखना पसंद करते हैं |
                                                                  मूल्यांकन
 दर्शको को खिलाडिओं  की कमाई से कुछ लेना देना नहीं हैं| लेकिन लोग अच्छा और रोमांचक क्रिकेट देखना चाहते हैं |लेकिन शायद खिलाडिओं की नज़र  अपने फायेदे के चक्कर में दर्शको की पसंद और  नापसंदगी को अन धेखा करके चैंपियंस की मोटी मलाई खाने पर अटकी  हैं |

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